बादलों में ल्यूसिला

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बादलों में ल्यूसिला
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Maria Grazia Gullo - Massimo Longo

बादलों में ल्यूसिला

सुरेश कांत द्वारा अनूदित

कॉपीराइट © 2019 एम. जी. गुल्लो – एम. लोंगो

आवरण-चित्र, आंतरिक चित्र और ग्राफिक्स

अल्फिया लोंगो की सहायता से

मास्सिमो लोंगो और ल्युसिया लोंगो

द्वारा सृजित और संपादित

सर्वाधिकार सुरक्षित।

ISBN Code:

ISBN-13

बादलों में ल्यूसिला


एक बार नहीं, बल्कि हजार बार उस छोटी लड़की से उसकी माँ ने कहा था कि वह घर का काम करते समय अनमनी न हुआ करे।

विद्यालय में ल्यूसिला एक बहुत ही बुद्धिमान और मेहनती लड़की थी, लेकिन घर पर वह भयानक थी : वह हमेशा बादलों में

यानी सपनों की दुनिया में खोई रहती थी।

जब भी उसकी माँ उसके हाथों में कोई महत्त्वपूर्ण काम सौंपती, वह लड़की हमेशा अनमनी हो जाती और अपना काम अधूरा ही छोड़ देती।

वह एक चमकदार आँखों वाली लड़की थी, जिसके घुँघराले बाल उसके कंधों से नीचे लटकते रहते थे।

वह अपनी उम्र के हिसाब से लंबी और पतली थी, और चाहे कोई भी परेशानी क्यों न हो, वह हमेशा घर में खुशियाँ लेकर आती।

ल्यूसिला और उसका परिवार जंगल में एक पहाड़ी पर रहते थे; वे खुशियों के मामले में धनी थे, पर सामान के मामले में गरीब थे।

लेकिन यह उन्हें उदार इंसान होने और पहाड़ी की दूसरी तरफ रहने वाली बूढ़ी महिला की देखभाल करने से नहीं रोक पाता था

कई साल पहले, जब ल्यूसिला की माँ छोटी और अनाथ थी, उस बूढ़ी महिला ने उसे पाला था। वह ल्यूसिला की नानी की तरह थी।

लेकिन उस दिन नानी टीना की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी : उन्हें तेज सर्दी-जुकाम ने पकड़ लिया था।

ल्यूसिला की माँ भी, जिसे हम उसके धैर्य के कारण अब से कैमोमाइल यानी बबूने का फूल कहेंगे, उस दिन बहुत थकी होने के कारण नानी टीना को देखने नहीं जा पाई थी।

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